मनखि रे तेरा मन की
नि जाणि कैन, नि पछाणि कैन

खिल-खिल हैंसदा मुखड़ा ,पित्त पक्यां जिकुड़ा
आस विस्वास कि डाळि, सुकाई त्वैन छपकाई त्वैन
मनखि रे तेरा मन की
नि जाणि कैन, नि पछाणि कैन

अपड़ा दुख म दुखि हो न हो,हैंका क सुख देखि असुखि मन
जैन हंसाई तु , उ रूवाई त्वैन पिताई त्वैन
मनखि रे तेरा मन की
नि जाणि कैन , नि पछाणि कैन

स्वारथ लालच क बथौं म उड़िगे नातु,गैलु, भै-भयात
धन माया भगवान, बणाई त्वैन चिताई त्वैन
मनखि रे तेरा मन की
नि जाणि कैन, नि पछाणि कैन

काव्य संग्रह ”कुरमुरी” से एक कविता
©ओम बधाणी

SHARE
Previous articleटुख्ख
Next articleखिस्सा
ओम बधाणी उत्तराखण्ड के एक सुप्रसिद्ध लोकगायक,कवि एवं साहित्यकार हैं। Om Badhani is a famous FolkSinger,Poet and author of Uttrakhand India.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here