गैल्या परदेसी हे भौंर परदेसी
तु छै घड़ेकौ उलार जन सुपन्यू त्यौहार
मेळा कौथीगै कि भीड़ व्याखुनी दाँ वार पार

आँखि बच्याली ज्यू मिलला
माया कि बरखा म द्विया भिजला
रूड़ि भुड़ि सि सुखै देलु ईं मौळ्यार

तरूणी उमर मुण्डारू पाड़ सि
माया पिताली आँख्यौं खाड़ सि
हैंसणु घड़ेक सदानि रूणा कू पज्यार

हाथ दे हाथ म करार कौंला
माटु ह्वैक भि दगड़ा रौंला
माया रलि रौ न रौ यु संसार

गंगा जल सी पावन निर्मल
माया मेरी यूँ डांड्यौं सि अचल
दगड़ु निभौलु सांस पराण कि चार
काव्य संग्रह ”कुरमुरी” से एक कविता
©ओम बधाणी

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ओम बधाणी उत्तराखण्ड के एक सुप्रसिद्ध लोकगायक,कवि एवं साहित्यकार हैं। Om Badhani is a famous FolkSinger,Poet and author of Uttrakhand India.

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