फेर उमळी उमाळ जिकुड़ि म
तर खत्यैनि आंसु मुखड़ि म
सरिन बादळ खुद क जिकुड़ि म
बरख्या बादळ आंसु क मुखड़ि म

तेरि माया कि कुटमुणि फूल बणिगे
रंगस्याळेगे दुन्या आंखि तणिगे
ताणा गाळि उपजी उंठड़्यों म
चुभदा सूल बणिक जिकुड़्यों म

सितगौं म जु छै बणाग ह्वैगे
आंख्यौं न उठि मन तक पौंछिगे
आग माया कि लगी जिकुड़ि म
पिड़ा खुद की चमळैगे जिकुड़ि म

काव्य संग्रह ”कुरमुरी” से एक कविता
©ओम बधाणी

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ओम बधाणी उत्तराखण्ड के एक सुप्रसिद्ध लोकगायक,कवि एवं साहित्यकार हैं। Om Badhani is a famous FolkSinger,Poet and author of Uttrakhand India.

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