वत खित हैंसिक बाट लगिगे
मेरि जिकुड़ी अबाट धोळिगे
ह्वैगे स्य जोन मै चकोर
स्वाणा सुपन्यों क बग्वान मा
झिल मिल ख्यालु क असमान मा
उडणु छौं लगिन पंखूर
कुमळाईं कुटमुणि सि यु मन
हंसिगे मौळिगे फूल फुली गिन
बसंति बयार ओर पोर
भुखु बाळु जनु रूंदेर सी
स्वामि बिन तरूणि खुदेर सी
पुळेंदु नी मन जिदेर
सिणै ढोल बाजणौ क बोल बजणा
गैल मेरा दगड़्या सौंजड़्या सजणा
सुपनेंणी आंखि फेर-फेर
काव्य संग्रह ”कुरमुरी” से एक कविता
©ओम बधाणी