मेरौं कै जावा भेंठ आखीर
दिख्यौ न दिख्यौ अगनै फेर
जन्म भूमी य टीरी तुमारी
दिख्यौ न दिख्यौ अगनै फेर

एक मा होंन्दी व जीन जन्म दिनी
वीं से भि बड़ी होन्दी जन्म भूमी
जन्म भूमी क मन की खातीर
मेरौं कै जावा भेंठ आखीर

छप-छपी पड़ि जाली थमलु आंख्यौं कु पाणी
भुक्की प्यै लेली य भोळ क्य होन्दु कुजाणी
मुखड़ि दिखैक, कै जा नीर थीर
मेरौं कै जावा भेंठ आखीर

तुमारा सुख क खातिर पाणि म मिलि जाणू ईंन
मा कु फर्ज अपड़ू निभै जाणू ईंन
तुम कर्यां न कर्यां फेर जातीर
मेरौं कै जावा भेंठ आखीर

दिन दुयेक द्वी चार सांस रैगीन
भोळ समळौण्या ह्वै जाणू ईंन
चित्त बुझान तब देखी तस्वीर
मेरौं कै जावा भेंठ आखीर

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ओम बधाणी उत्तराखण्ड के एक सुप्रसिद्ध लोकगायक,कवि एवं साहित्यकार हैं। Om Badhani is a famous FolkSinger,Poet and author of Uttrakhand India.

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