जमै बडै पाळि पोसी हैरीं डाळि ह्वै गई
ठंगरा ह्वैग्यों आज हम तु अजाण ह्वै गई
हे मेरा तु अजाण ह्वै गई

संसर्धारी पिलाइ कोखि म नौ मैना समाळि छै तु
ज्यू मारि मांड प्यैकी खैर्यूं म पाळि छै तु
बिसरि गे तु ब्वै अपड़ी अब विराणु ह्वै गई

पढैै लिखै नौकरी लै यूं हाटग्यों तोड़िक
खुटा लग्या भागिगे नी देखी मुखड़ि मोड़िक
बिसरि गे तु बाबु अपड़ा अब सयाणु ह्वै गई

सुख देखलु चार दिन ब्वारि ल्यैक सोचि छौ
दिन फिरला मेरा भी सुखीलु सुपन्यु देखि छौ
ब्वारी भग्यान नौना भी लूछी ली गई

अगनै की लाखड़ी सदानी पिछनै कु औंदि जगि
ज्वानि कु बसंत कैमा सदानी नि रंदु कबि
बिंगलु पिड़ा हमारी अब तु भि बाबु ह्वै गई

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ओम बधाणी उत्तराखण्ड के एक सुप्रसिद्ध लोकगायक,कवि एवं साहित्यकार हैं। Om Badhani is a famous FolkSinger,Poet and author of Uttrakhand India.

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