उत्तराखण्ड मतबल, हरी भरी डांडी कांठी, वूँ डांडी कांठ्यौं म सर-सर बगदि हवा क गैल रांसू झुमैलो, थड़िया चैंफळा,झोड़ा, चांचरी गीत लगौंदा मोर, थुनेर, बांज, बुरांस, कुळैं, देवदार क डाळा, यूँ डाळ्यों का नाच क गैल गीत लगांदा गाड, गदरा,रौला, बौला यूॅ नाचदारों तैं रंग बिरंगी टल्खि बणीं सजांैदा बुराँस,ब्रह्मकमल,जयाण,फ्यौंळि,लैयां, पैयां, साकिनू, ग्वीराळ, क फूल,ऊँचा-ऊँचा पहाड़ म रंग बिरंगा घर, मठ, मन्दिर, द्यूळौं म बजदा शंख भाणु, ढोल दमौं भंकोरा रणसिंगा, क स्वर मनखि तैं धरति पर स्वर्ग कु अनुभव करौंदि
बोळदा कि कखि स्वर्ग होंदो, क्य होलू स्वर्ग यै से बती
मेरा पहाडी मुल्क देखी बढदि तीस देखा जति।
यना सजिला रंग विरंगा पहाड़ क उत्सव भि रंग-बिरंगा छन बसंत रितु म जब चैदिसौं। मौळ्यार फुलार होंदि वै समै म यख संस्कृति कु एक अनूठू रळौ-मिसौ देखणक मिळदु, अर यु रळौ मिसौ छ लोसर उन्नीसवीं सदि क हिमालयी अन्वेषक पंडित नैन सिंह क अनुसार लोसर 1866 म सुरू ह्वै अर सि भि लोसर पर्व म सम्मिलित ह्वै था, तिब्बत कि राजधानी ल्हासा हिमालयी क्षेत्र कि व्यापारिक मंडी थै यखि बिटि व्यापार क वास्ता निकळिक् तिब्बती समुदाय(बौद्ध धर्म क अनुयायी) क लोग हमारा देस म पूर्वोत्तर हिमाचल, जम्मू कश्मीर, दिल्ली आदि जगौं पर ऐन अर हमारा देस मां रणा छन, उत्तराखण्ड क उत्तरकाशी, नैनीताल, देहरादून, चमोली, पिथौरागढ़ आदि जगौं पर आज भि इ लोग लोग सुख शांति सि रंदा,
उत्तरकाशी जिला क हर्सिल, बगोरी, अर डुण्डा(वीरपुर) म जाड़ भेटिया खांपा जनजाति क लोग रंदा यँू तैं जाड़ इलै बोल्दा कि इ जाड़ गंगा कु उदगम स्थल पर रंदा था, 54 वर्ष वैलि यूँका भारत तिब्बत सीमा सि लग्यंा नेलांग जादौगं गांै था पर भारत चीन युद्ध क बाद यूँ तैं उत्तरकाशी क हर्सिल बगोरी, अर डुण्डा म बसाये गै।
जाड़ भोटिया जनजाति क यूँूॅ लोग क विषय म डुण्डा(वीरपुर) निवासी बुजुर्ग श्री नारायण सिंह नेगी जी बतौंदा कि जाड़ भेटिया लोग मूल रूप सि हिन्दु हि छन पर हिमाचल बटि व्यापार अर रिस्तादारी क कारण लोसर मनौंणु वूँकि परंपरा म ऐगि, पर यँून अपडी़ मान्यता अर संस्कृति नि छोड़ि अर लोसर उत्तराखण्डी संस्कृति म खूब रळि-मिसि गि ।
लोसर बौद्ध धर्म मानण वाळौं कु प्रमुख पर्व छ,लेकिन उत्तरकाशी क जाड़ भेटिया खांपा जनजाति क लोग यै त्यौहार तैं बड़ा उत्साह सि मनौंदा ,यु नया साल क अवसर पर मानये जाण वाळू त्यार छ पर जु 1 जनवरी कु नि मनाये जाँदू बल्कि बौद्ध संवत क अनुसार वर्ष पैला मैना कि पैलि तारीख कु मनाये जांदु जु इस्वी कैलंेडर का अनुसार लगभग फरवरी मैना क बिच म पड़दु अर पूरा संसार म जख भि बौद्व लोग बस्या छन वख लोसर मनाये जांदू।
लोसर, लो एवं़ सर का जोड़ सि बण्यूँ शब्द छ जैमा लो मतबल.- वर्ष, सर मतबल- नया छ मतबल लोसर कु अर्थ छ नयु वर्ष, उत्तराखण्ड राज क पहाड़ी इलाकों म रण वाळा जाड़ भेटिया खांपा जनजाति क लोग लोसर क अवसर पर होळी, दिवाळी,दशहरा कठ्ठी मनौंदा। विशेष करि डुण्डा म रण वाळा जाड़, भोटिया जनजाति का लोग लोसर म तीन दिन तक मस्ति म डुब्याँ रंदा बुढ्या, बच्चा,ज्वान, नौना नौनी, जनानी सभ्भि ।
पत्रकार अर रंगकर्मी सुरेन्द्र पुरी क अनुसार डुण्डा(वीरपुर) उत्तरकाशी म तीन दिनु तक चळण वाळू लोसर गढवाळी,तिब्बती, हिमांचली,संस्कृति कु अनूठू गठ़जोड़ छ जू सैत और कखी निछ, भारत-तिब्बत व्यापार सि जुड़्या तिब्बत क लोग यख व्यापार करन् औंदा था पर भारत चीन सीमा बन्द होण क बाद इ लोग यख्खि बसिग्या अर हमारी संस्कृति क साथ रचि बसिग्या अर यूँन हमारा ढोल तंै पूजा कु महत्वपूर्ण हिस्सा बणायी त यख क गीत संगीत पंाडव नृत्य डोली नृत्य देवी देवतौं तैं भि अपण्ैयाली, यै वजै सि वीरपुर डुण्डा म होण वाळा तीन दिन क लोसर पर्व पर रिंगाळी देवी कि डोली कि पुजा व सेमेसुर देवता क पश्वा कि पुजा करिक लोसर कु सुभारम्भ करे जांदु। यांका वास्ता यूँन रिंगाळी देवी क मन्दिर कु निर्माण करि अर मन्दिर चैक म हि यु आयोजन होंदु। जैमा अपड़ी परंपरागत लत्ती कपड़ी पैरिक जाड़-भोटिया समुदाय कि जनानी हमारा ढोल कि थाप पर रांसो तांदि नाच करदि हिन्दु धर्म क अनुसार हरियाळी कु बड़ु महत्व छ त इ लोग हैरयाळी भि उगौंदा जु एक फूल क साथ मैमानु तैं दिये जाँदु।
हर साल लगभग फरवरी मैना का 10 या 12 तारीख के आस-पास औण वाळा लोसर क वास्ता जाड़ भोटिया समुदाय क लोग पैलि बिटि तैयारी सुरू कर देंदा, घर कि लिपै पुतै, साॅफ-सफाई करदा नया कपड़ा, खाण पेण कु सामान कठ्ठू करदा मिठ्ठै पकौंदा, छंग तैयार करे जांदि। मेळा सि आठ दस दिनु पैलि हैर्याळि डाळे जांदि, लोसर मौ कि अमावस्या क दिन सि सुरू ह्वै तीन दिन तक हर्ष उल्लास क साथ मनाये जांदु। समुदाय क लोग पैला दिन बग्वाळी कि चार अपड़ा घरू तैं द्यू जगैक प्रकाशित करदा गौं क सभ्भि मणस्यारू,जनानी, नौन-नौनी, छुल्का जगैक अपड़ा-अपडा़ घरू वटि औंदा अर चैराह पर छिल्कौं तै अग्निकुण्ड म स्वाह कर देंदा जैका पैथर मान्यता छ कि हमारा घर मा सुख समृद्धि आवो सभ्भि राग, द्वेष,दुख कष्र्ठ इं अग्नि क साथ जळि क भस्म ह्वै जावो। वख बटि छोटा-छोटा डंुगा उठैक बच्चा बुढ्या सब गैल म ल्यौंदा जौं तैं हर घर म पौंछाये जांदु अर नया साल कि सुभकामना देंदा कि नया साल म आप क घर म धन दौलत सुख समृद्धि आओ त बदला म बड़ों तैं मिठै अर पेण वाळों तैं छंग मिळ्द त छोटा नौनों तैं टाॅफी मिलदी। लोसर क दूसरा दिन सुबेर अंध्यारा म गंगा जल ल्याये जांदु वैमा आटा कु कैलास मानसरोबर बणाये जांदु जु पांच पुड़ियों क ऐंच रखे जांदु अर वैका चारों ओर पशुधन कि परिक्रमा करदा दिखाये जांदु फिर वैमा हर्याळी तोड़िक चड़ाये जांदि अर वांका बाद घर-घर हर्याळी बांटे जांदि व नया बर्ष सुभकामना दिये जांदि, ईं पुजा पाठ क बाद मैमानु अर ध्याण्यौं तैं जिमांैण कु कार्यक्रम होंदू ,यै दिन पर सभ्भि अपड़ी-अपड़ी ध्याण्यौं तैं जिमौंदा अर दोण देजु दंेदा लोसर कु तीसरू दिन सबसी जादा रोंमाचक होंदु यै दिन जाड़ भोटिया समुदाय क लोग आटा क कैलास तैं तोड़दन अर वै तैं उठैक गाय तैं खलौंदन अर वै आटा कि होळि खेलिक नया साल कु स्वागत करदा । होळि क बाद मन्दिर म पूजा पाठ होंदु फिर मैमानू तैं हर्याळी अर फूल दीक विदा करे जाँदू नया साल कि सुभकामनौं क साथ त्यौहार क अन्त म विधि-विधान सि बण्या पुराणा झण्डा उतारिक नया प्रार्थना लेख्याँ झण्डा सब अपड़ा-अपड़ा घरू कि छत पर लगोैंदा। यांका पैथर मान्यता छ कि हवा म लहरंादि झंडियों पर लिखीं प्रार्थना भगवान तक झट पांैछि जांदि, सुख समृद्धि अर शान्ति की कामना क साथ लोसर म पूरा गौं म जश्न कु माहौल रंदू। गौं म मिठै क गैल अपड़ा घर औण वाळा मैमानु क वास्ता प्रसाद म विसेस रूप सि तैयार छंग तैं मख्खन क साथ परोसे जांदू, छंग बणौंदि बत पवित्रता कु ध्यान रखिक यै तैं पैलि देवतांै तंै चढाये जांदु। वीरपूर डुण्डा म रिंगाळी देवी मन्दिर म डोली व समेसुर देवता कि डोलि ढो़ल-दमौ कि थाप पर रांसू,तांदी नाच करदि। यु त्यौहार भाई-चारा व प्रेम कु एक सच्चु रूप छ। यै बजै सि लोसर क वास्ता दुरू-दुरू बिटिन लोग कठ्ठा हांेदा।
एक तरफ जख समाज म असहिष्णुता की बात खूब चळ्नी छन, कुछ दिन पैलि देश क बडा-बड़ा विश्वविद्यालयों म देस विरोधि नारों सि पूरा देश म हलचल छ,वखी भारत का उत्तरी सीमा क्षेत्र जम्मू-कश्मीर क लद्दाख, हिमांचल, अरूणांचल अर उत्तराखण्ड क्षेत्र म यना भि लोग छन जु हमारा देश क विवधता म एकता क सिद्धान्त तैं सच अर समृद्ध बणैणा छन ऊँन अपडु़ धर्म त नि छोड़ी पर हमारी मान्यताओं तंै भि आत्मसात करियाली अर यूंक यै रळौ मिसौ सि हमारा समाज तैं मिळद एक यनि तस्बीर जु हंसदि ऊँ पर जु बोळन् कि आजादि कि आड़ म समाज म जहर रळौण कु कुकर्म करदा रंदा।
1-लोसर क पैला दिन बग्वाळी कि चार अपड़ा घरू तैं द्यू जगैक प्रकाशित करदा अपड़ा-अपड़ घरू बटि औंदा अर चैराह पर छिल्कोैं तै अग्निकुण्ड म स्वाह कर दशहरा मनाये जांदु।
2-दूसरा दिन आटा कु कैलास मानसरोबर बणाये जांदु, पुजा पाठ अर ध्याण जिमै होंदि।
2- लोसर कु तीसरू दिन सबसी जादा रोंमाचक होंदु यै दिन जाड़ भोटिया समुदाय क लोग आटा कि होळि खेलिक नया साल कु स्वागत करदा
3-लोसर त्यौहार क अन्त म सब अपड़ा-अपड़ा घरू कि छत पर प्रार्थना लेख्याँ झण्डा लगोैंदा।
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