त्वैन उगळी सकि न मैन बोली सकि
बात दबीं रैगे गेड़ बंधी रैगे
मै कख रैग्यों, तू कख्ख रैगे
घिच्चि खुलि जांदि त भाग भी जुड़ि जाँदा
सूर साँसू नि करी फूल भी खिल जाँदा
स्याणी स्याणी रैगे ,गाणी गाणी रैगे
मै कख रैग्यों, तु कख्ख रैगे
मै बाळू जिदेर न तू जोन छै
मनखि मै भी छौं मनखी तू भि छै
तौभि दूरी धरती अगासै रैगे
मै कख रैग्यों, तु कख्ख रैगे
भाग जोग संजोग हाथ दैब का
बिन जतन सुपिन्या सच्चा नि होन्दा कैका
कुछ कसूर हमारू कुछ विधाता चैगे
मै कख रैग्यो,तु कख्ख रैगे
आज मिल्या भी छौं त द्वी दिसौँ बणिक
गणि त याली पर क्या पाई गणिक
मन पापी भारी सरम कैगे
मै क्खख रैग्यों तु कख्ख रैगे