भोळ कथा ह्वै जालू
कथगुळ्यों मां रै जालू
मेरू गौं

आस कु भारू पीठि मां बांध्यूं रैगी
जागदू रैगे गौं विकास सैरू मां स्यैगी
बिसूण खोजदु रैगे मेरू गौं

दिवाली तिड़ीं मेड़ टुट्यां द्वारू मां ताळा
चौक आलड़ जम्यूं कुड़्यौं मकड़जाळा
खंजेण-बंझेण लैगे मेरू गौं

सुख सुबिधौं कि खोज मां देसु पड़्यां
सैंति पाळिन जु वूंका मुख मोड़्यां
रितु खालि होणु मेरू गौं

अप अपड़ी ना सोचा देखा गौं भी जरा
अपड़ी जड़्यों सि बंधी रैन जु सु डाळी पनपी सदा
डाळ्यों खोजदू रैगे मेरू गौं

  • काव्य संग्रह “कुरमुरी” से एक कविता

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