Poetry

सगुनी कागा

सगुनी कागा सगुन बोल कभि त मेरा चैक बोल मेरि जिकुड़ि भि हरसौ गैल्या मेरा मन भि पत्यौ हे सगुनी कागा चिठ्ठी पत्री न रन्त रैबार बिसरिग्य स्वामि जि...
- Advertisement -

RECOMMENDED VIDEOS

POPULAR